Independence Day 2024 : भारत आज़ादी का 78वां वर्षगांठ माना रहा है। भारत एक ऐसा राष्ट्र पुरुष है जो नित्य प्रति नए रूप में स्वयं को सवारता है। कई ऐसे क्षेत्र हैं जहा भारत विश्व के विकसित देशों से भी आगे निकल चुका है और कई ऐसे क्षेत्र हैं जो प्रतिदिन इस राष्ट्र पुरुष को पीछे धकेल रहे है। मसलन बंगाल में महिला ट्रेनी डौक्टर के साथ हुई वारदात ने पूरे भारतीय समाज पर एक प्रश्नवाचक चिन्ह लगा दिया है और यह मात्र केवल महिला डौक्टर की सुरक्षा की बात नहीं है।यह समस्त नारी जाति की सुरक्षा का प्रश्न है।आखिर कब तक नारी जाति को वास्तविक सुरक्षा प्राप्त हो पाएगी।स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण के समय हमारा ध्वज यह चीख चीख कर पूछता है कि कब तक भारत को गरीबी और बेरोजगारी से मुक्ति मिलेगी। भारत का राष्ट्रीय ध्वज यह पूछता है कि आखिर कब तक जवानों का लहू यूं ही बर्बाद होता रहेगा।
मिलो हम आए है, मिलो हमे जाना है। साल 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का सपना सराहनीय है, लेकिन क्या इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लाल किले से भाषण ही काफी है? क्या सिर्फ भाषण में गुस्सा और इमोशन दिखाना ही लक्ष्य को प्राप्त करवा देगा। भारत की राजनीतिक दशा और दिशा इसी तरफ इशारा करती है कि सामूहिक प्रयास ही हमे विकसित बनाएगा। इसके लिए प्रथम स्तर पर प्रयास नारी के वास्तविक और ठोस सशक्तिकरण से होगा। इसका दूसरे स्तर पर प्रयास शिक्षा के स्तर से होगा जो रोजगार सृजन करने वाली हो। तीसरे स्तर से प्रयास रोजगार सृजन से एवम तकनीकी नवाचार से होगा। चौथा स्तर से प्रयास सांप्रदायिक राजनीति को छोड़ कर एक साथ आने से होगा।
पांचवा स्तर से प्रयास नागरिक स्तर पर निजी इमादरी और कर्तव्य निष्ठा को लाने से होगा। इन सभी के लिए आवश्यक है की भारत को राजनीतिक उठा – पटक से निकाल कर एक समावेशी और स्वास्थ्य राजनीति की तरफ लेकर चला जाए। राजनीति आरोप – प्रत्यारोप से ऊपर उठ कर राजनीतिक रचनात्मकता की तरफ जाना चाहिए। राजनीतिक द्वेष और विरोधाभास से ऊपर उठ कर राजनीतिक एकरूपता को अपनाना चाहिए। विपक्ष की सकारात्मक मांगो को शामिल कर भारत को वास्तविक विकास की तरफ अग्रसर करना चाहिए। जब हमारे देश में यह चिंतन प्रारंभ होगा तब ही हमारा देश विकसित हो पाएगा।