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बंगाल में छात्रों का नब्बना मार्च ममता बनर्जी के गले की फांस साबित होता दिख रहा है। जिस प्रकार पुलिस कर्मियों ने छात्रों पर डंडो की बरसात की यह ममता राज के अंत को आमंत्रण था। भाजपा ने भी इस जन आंदोलन को हाथो – हाथ लिया और बंगाल का बंद का ऐलान कर दिया है। ममता बनर्जी को छात्र शक्ति का अहसास अवश्य होगा क्योंकि वह स्वयं इसकी उपज है। किंतू उनका छात्रों की मांगो की तरफ ध्यान न देना और पुलिस को सख्त कार्यवाही का आदेश देना उन्हे छात्रों की नजर में विलेन बना चुका है।

भारत वर्ष का इतिहास गवाह रहा है की भारत में आंदोलन को गति बंगाल से ही मिलती है और बंगाल क्रांति का गढ़ रहा है। छात्रों का नब्बना मार्च नए भारत और नए बंगाल का नया सवेरा लायेगा। वामदलो का इस आंदोलन से अलग होना एवम वृंदा करात का नब्बना आंदोलन की निंदा करना बंगाल में साम्यवाद के ताबूत में अंतिम कील साबित होगा। क्योंकि वर्तमान में बंगाल की राजनीति की दशा और दिशा दोनो ही बंगाली छात्र तय कर रहे है एवम बंगाली समाज ममता बनर्जी की विदाई का मन बना चुका है।

बंगाल का नब्बना आंदोलन भाजपा के लिए स्वर्णिम अवसर लेकर आया है। यदि ममता बनर्जी इसी प्रकार छात्र आंदोलन को दबाने के लिए बल का प्रयोग करती रही तो वह दिन दूर नही की जब उनका बनाया नब्बना भवन उनके लिए ही बेगाना हो जायेगा। समय की मांग है की ममता बनर्जी छात्रों से संवाद स्थापित करे और अपनी सरकार को बचाए।

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