उम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में : बशीर बद्र
सर से पा तक वो गुलाबों का शजर लगता है बा-वज़ू हो के भी छूते हुए डर लगता है मैं तिरे साथ सितारों से गुज़र सकता हूँ कितना आसान मोहब्बत…
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