लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के सामने फिर एक बार पार्टी में टूट की संभावना खड़ी हो गई है। खुद को प्रधानमंत्री का हनुमान बताने वाले चिराग, मेरे प्रधानमंत्री…. मेरे प्रधानमंत्री … का रट लगाते नही थकते है। आज उनकी पार्टी फिर से टूट की कगार और खड़ी है। हल के घटनाक्रम को देखते हुए लगता है की भाजपा का चिराग से मोह भंग हो रहा है। जिस प्रकार चिराग पासवान ने आरक्षण में क्रीमी लेयर का खुल कर विरोध किया और SC/ST संगठनों के भारत बंद का समर्थन किया उसके बाद से भाजपा के मोटा भाई कुछ उखड़े हुए से लग रहे है।
हाल ही में अमित शाह का बयान भी चिराग के लिए परेशानी खड़ा करता नजर आ रहा है। भारत के राजनीति के मौसम वैज्ञानिक के सुपुत्र स्वयं के सांसदों का बदलता मिजाज पढ़ने में सफल नहीं रहे है। चिराग पासवान जी की पार्टी के तीन सांसद जिनमे शाभवी चौधरी भी शामिल भाजपा के संपर्क में है। भाजपा से संपर्क चिराग की टेंशन बढ़ा रहा है। चंपई सोरेन पर की गई हमारी भविष्यवाणी सत्य होती दिख रही है। ऐसे ही यदि चिराग अपने सांसदों से संपर्क नही स्थापित करते है तो उनकी पार्टी फिर एक बार खत्म हो जाएगी और फिर मोदी के हनुमान संकट में फस जायेंगे। उसके बाद ये संकट उनका राजनीतिक अस्तित्व समाप्त कर देगा।