Sawan Somwar 2024: सावन (sawan 2024) हिंदू धर्म के लिए सबसे पवित्र और उत्तम महीना माना जाता है। सावन महीना भोलेनाथ को बहुत प्रिय है। शिवभक्तों को इस महीने का बेसब्री से इंतजार रहता है। शास्त्रों के अनुसार, सोमवार का भगवान शिव के लिए समर्पित है।
सावन में पड़ने वाले सोमवार का काफी महत्व है। इस दिन भक्त पूरी श्रद्धा से भोलेनाथ की पूजा करते हैं। ऐसे आप आने वाले सोमवार यानी 5 अगस्त का भोले बाबा के भक्तों को जरूर इंतजार होगा। अब तक दो सावन सोमवार बीत चुके हैं और सावन के तीसरा सोमवार का व्रत 5 अगस्त को रखा जाएगा।
सावन के तीसरे सोमवार को भोले बाबा की इस तरह करें पूजा
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और साफ कपड़े पहन लें। पूजा के लिए शिव मंदिर में जाएं. आप सबसे पहले गंगाजल से शिवजी का अभिषेक करें. इसके बाद भगवान को सफेद चंदन का तिलक लगाएं, फूल, बेलपत्र, भांगष धतुरे आदि चढ़ाएं, फल और मीठाई का भोग लगाएं। घी का दीपक जरूर जलाएं, फिर शिव मंत्रों का जाप करें। श्रद्धापूर्वक भगवान की पूजा-पाठ कर के उनसे प्रार्थना करें। माना जाता है सच्चे मन से प्रार्थना करने पर मनोकामना पूरी होती है।
इन मंत्रों का करें जाप (Sawan Somwar Mantra)
ॐ नमः शिवाय॥
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
ॐ नमो भगवते रूद्राय।
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
सावन सोमवार की व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, किसी नगर में एक साहूकार रहता था। उसे धन की कोई कमी नहीं थी। लेकिन कमी थी तो केवल संतान की। साहूकार भगवान शिव का भक्त था और प्रतिदिन उनका पूजन करता था। साहूकार की भक्ति देख एक दिन माता पर्वती ने भोलेनाथ से कहा, आपका यह भक्त दुखी है। इसलिए आपको इसकी इच्छा पूरी करनी चहिए। भोलेनाथ ने माता पार्वती से कहा कि, इसके दुख का कारण यह है कि इसे कोई संतान नहीं है।
लेकिन इसके भाग्य में पुत्र योग नहीं है। यदि उसे पुत्र प्राप्ति का वारदान मिल भी गया तो उसका पुत्र सिर्फ 12 वर्ष तक ही जीवित रहेगा। शिवजी की ये बातें साहूकार भी सुन रहा था। ऐसे में एक ओर जहां साहूकार को संतान प्राप्ति की खुशी हुई तो वहीं दूसरी ओर निराशा भी। लेकिन फिर भी वह पूजा-पाठ करता रहा।
एक दिन उसकी पत्नी गर्भवती हुई। उसने एक सुंदर बालक को जन्म दिया। देखते ही देखते बालक 11 वर्ष का हो गया और साहूकार ने शिक्षा प्राप्त करने के लिए उसे मामा के पास काशी भेज दिया। साथ ही साहूकार ने अपने साले से कहा कि, रास्ते में ब्राह्मण को भोज करा दें।
काशी के रास्ते में एक राजकुमारी का विवाह हो रहा था, जिसका दुल्हा एक आंख से काना था। उसके पिता ने जब अति सुंदर साहूकार के बेटे को देखा तो उनके मन में विचार आया कि क्यों न इसे घोड़ी पर बिठाकर शादी के सारे कार्य संपन्न करा लिया जाए। इस तरह से विवाह संपन्न हुआ। साहूकार के बेटे ने राजकुमारी की चुनरी पर लिखा कि, तुम्हारा विवाह मेरे साथ हो रहा है। लेकिन मैं असली राजकुमार नहीं हूं। जो असली दूल्हा है, वह एक आंख से काना है। लेकिन विवाह हो चुका था और इसलिए राजकुमारी की विदाई असली दूल्हे के साथ नहीं हुई।
इसके बाद साहूकार का बेटा अपने मामा के साथ काशी आ गया। एक दिन काशी में यज्ञ के दौरान भांजा बहुत देर तक बाहर नहीं आया। जब उसके मामा ने कमरे के भीतर जाकर देखा तो भांजे को मृत पाया। सभी ने रोना-शुरू कर दिया। माता पार्वती ने शिवजी से पूछा हे, प्रभु ये कौन रो रहा है?
तभी उसे पता चलता है कि यह भोलेनाथ के आर्शीवाद से जन्मा साहूकार का पुत्र है। तब माता पार्वती ने कहा स्वामी इसे जीवित कर दें अन्यथा रोते-रोते इसके माता-पिता के प्राण भी निकल जाएंगे। तब भोलेनाथ ने कहा कि हे पार्वती इसकी आयु इतनी ही थी जिसे वह भोग चुका है।
लेकिन माता पार्वती के बार-बार कहने पर भोलेनाथ ने उसे जीवित कर दिया। साहूकार का बेटा ऊं नम: शिवाय कहते हुए जीवित हो उठा और सभी ने शिवजी को धन्यवाद दिया। इसके बाद साहूकार ने अपने नगरी लौटने का फैसला किया। रास्ते में वही नगर पड़ा जहां राजकुमारी के साथ उसका विवाह हुआ था। राजकुमारी ने उसे पहचान लिया और राजा ने राजकुमारी को साहूकार के बेटे के साथ धन-धान्य देकर विदा किया।
साहूकार अपने बेटे और बहु को देखकर बहुत खुश हुआ। उसी रात साहूकार को सपने में शिवजी ने दर्शन देते हुए कहा कि तुम्हारी पूजा से मैं प्रसन्न हुआ। इसलिए तुम्हारे बेटे को दोबारा जीवन मिला है। इसलिए तब से ऐसी मान्यता है कि, जो व्यक्ति भगवान शिव की पूजा करेगा और इस कथा का पाठ या श्रवण करेगा उसके सभी दु:ख दूर होंगे और मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।
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